टीबी के मरीज को कौन सा फल खाना चाहिए?
टीबी की बीमारी में कौन कौन से फल खाने चाहिए कि जो टीवी की बीमारी के मरीज होते हैं उसका इलाज कैसे करना चाहिए तो पोस्ट को पूरा पढ़ें आपको जानकारी मिल जाएगी।

जानिए ऐसे में किन चीजों को करें खाने में शामिल:
- टीबी के मरीजों को खाने में विटामिन A और C से भरपूर हर चीज शामिल करनी चाहिए जैसे संतरा, आम, पपीता , कद्दू, गाजर, अमरूद, आंवला , टमाटर, नींबू , शिमला मिर्च आदि।
- रेड मीट, अल्कोहल और हाई-फैट वाली चीजों का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
- कुपोषण से ग्रस्त लोगों को प्रचूर मात्रा में दूध, दही, तरह-तरह के फल और सब्जियां, मीट, मछली, अंडा आदि खाना चाहिए।
खाना जितना ज्यादा हेल्दी होगा, बीमारियां उतनी ही ज्यादा दूर रहेंगी।
टीबी के मरीज का परहेज
टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ‘ट्यूबरक्लोसिस’ नामक जीवाणु से होता है। यह बीमारी आपके फेफड़ों को सबसे अधिक प्रभावित करती है। इसके अलावा यह शरीर के अन्य हिस्सों जैसे दिमाग, रीढ़ की हड्डी को भी नुकसान पहुंचाती है।
टीबी को ठीक होने में अधिक समय लगता है, इसलिए इसे ठीक करने के लिए आपको चिकित्सीय उपचार की जरूरत होती है। इलाज के साथ ही साथ टीबी को ठीक करने में आहार भी बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाता होता है।
डॉक्टर हमेशा सलाह देते हैं कि टीबी रोगियों को सबसे पहले अपने पाचन शक्ति को मजबूत बनाना चाहिए। टीबी से ग्रसित रोगियों में कमजोरी की समस्या बहुत सामान्य है, इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थों को खाना चाहिए, जिससे पर्याप्त उर्जा मिल सके।
टीबी में तले हुए खाद्य पदार्थों न खाएं
तले हुए चिकन, मटन, फ्रेंच फ्राइज को न खाएं। इनमें बहुत अधिक मात्रा में संतृप्त वसा होती है। फैट कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है और साथ ही साथ डायबिटीज व हृदय रोग को भी बढ़ावा देता है।
इसके अलावा तले हुए खाद्य पदार्थ टीबी में दस्त, पेट में ऐंठन और थकान जैसी समस्या को उत्पन्न करते हैं। दस्त से आपके शरीर में पानी की कमी होती है, जो शरीर के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक होता है।
इसलिए खाना बनाने के लिए बेक्ड, ब्रॉइलिंग और स्टीम्ड विधि का इस्तेमाल करें। भोजन को बनाते समय बटर और फैट वाले अन्य चीजों का इस्तेमाल न करें।
टीबी में खराब फैट वाले खाद्य पदार्थ नहीं खाना चाहिए
ट्रांस फैट एक प्रकार का खराब वसा है। इस वसा को एक प्रक्रिया के तहत तैयार किया जाता है, जिसमें हाइड्रोजन को वेजिटेबल ऑयल में मिलाया जाता है। इस तेल में खराब वसा होते हैं, जो खराब कोलेस्ट्रोल के स्तर और शरीर में सूजन को बढ़ाते हैं।
इसलिए खराब वसा वाले खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल नहीं करने से टीबी के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। कुकीज, केक और प्रेस्ट्री जैसे खाद्य पदार्थों को न खाएं।
इसके अलावा उन सभी खाद्य पदार्थों को नहीं खाना चाहिए, जो हाइड्रोजन वेजीटेबल ऑयल से बने होते हैं। इनकी जगह पर आप ताजा फल और सब्जियों को खाएं।
टीबी में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ न खाएं
रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, जैसे कि आंटा, कैलोरी रहित चीनी जैसे खाद्य पदार्थों को नहीं खाना चाहिए। हालांकि सीमित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट नुकसानदायक नहीं होता है।
इसलिए टीबी के रोगियों को टीबी के लक्षणों को कम करने के लिए ऐसे खाद्य पादर्थों को नहीं खाना चाहिए। ब्रेड, अनाज, पास्ता कार्बोहाइड्रेट के मुक्य स्रोत है, इसलिए इनसे परहेज करना चाहिए।
इसके अलावा सॉफ्ट ड्रिंक, जैम, जैली, कैडी आदी को भी नहीं खाना चाहिए। इन खादय् पदार्थों की जगह पर आप फाइबर युक्त आहार जैसे अनाज और स्टार्च युक्त सब्जियां आदि खा सकते हैं।
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टीबी में कॉफी और चाय न पीएं
चाय और कॉफी से आपको नींद न आने की समस्या हो सकती है। इससे टीबी को ठीक होने में अधिक समय लग सकता है। अधिक कॉफी पीने से पेशाब के माध्यम से अधिक पानी निकलना या शरीर में पानी की कमी जैसी समस्या हो सकती है।
इन तरल पेय पदार्थों की जगह पर आप कम वसा वाला दूध और जूस पी सकते हैं। टीबी रोगियों को डॉक्टर कॉफी की जगह ग्रीन टी पीने की सलाह देते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो आपके स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं।
टीबी में न करें धूम्रपान और शराब का सेवन
टीबी में धूम्रपान करना और शराब पीनी बहुत ज्यादा नुकसानदायक है। टीबी के दौरान अधिक शराब पीने से आप अनिद्रा के शिकार हो सकते हैं। इससे टीबी के लक्षण और गंभीर हो सकते हैं।
इसके अलावा तंबाकू में निकोटीन होता है, जो आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक होता है। टीबी रोगियों को किसी भी हाल में धूम्रपान और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा तंबाकू से कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
टीवी के मरीज को चावल खाना चाहिए या नहीं
इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आहार में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में हों और संतुलित हों। टीबी के इलाज के दौरान भूख कम लगती है और मरीज खाना नहीं चाहता।
इसलिए भोजन स्वस्थ होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी होना चाहिए। जैसे-जैसे शारीरिक स्थिति में सुधार होने लगता है, रोगी स्वयं सामान्य रूप से खाने लगता है।