शलजम की खेती (Shalgam ki Kheti) करने के तरीके यहां जाने

रामराम किसान भाइयो, शलजम की खेती के बारे में बात करें तो आज आपको इस आर्टिकल में बताएंगे की शलजम की खेती कैसे करें? और शलजम की खेती के बारे में आपको पूरी जानकारी देंगे। जिसके कारण आपको शलजम की खेती में अच्छी उपज भी हो सकती है तो बने रहे इस पोस्ट पर और पोस्ट को पूरा पढ़े-

Shalgam ki kheti

Shalgam ki kheti

शलजम भारत के अधिकांश भागों की फसल है। यह एक जड़ फल या सब्जी है, जिसका प्रयोग सलाद या सब्जी के रूप में किया जाता है। शलजम विटामिन और खनिजों का एक स्रोत है। इसका सब्जी वाला हिस्सा जानवरों के लिए पौष्टिक भोजन है।

शलजम खाने से शरीर को विटामिन ए, विटामिन सी और जरूरी एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं, साथ ही इसकी पत्तियां और जड़ें भी विटामिन और मिनरल्स के बहुत अच्छे स्रोत हैं।

शलजम एंटीऑक्सीडेंट का प्राकृतिक भंडार है, जिसे खाने से शरीर में मौजूद हानिकारक तत्व बहुत जल्दी खत्म हो जाते हैं और शरीर को फायदा होता है।

किसान भाइयों को आधुनिक तकनीक से इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा मिल सकता है। इसकी आधुनिक खेती से जुड़े कुछ टिप्स से आपको अवगत कराना चाहते हैं। जिसके इस्तेमाल से आपको अच्छी पैदावार मिल सकती है।

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जलवायु

शलजम की खेती के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। ठंडी जलवायु में इसकी उपज अच्छी होती है। इसके लिए तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच उपयुक्त रहता है।

भूमि चयन

शलजम की खेती(shalgam ki kheti) विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। फिर भी, अच्छी उपज के लिए भुरभुरी और उपजाऊ दोमट और हल्की रेतीली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।

यदि आपके खेत की मिट्टी रेतीली और रेतीली हो तो शलजम की खेती उसी स्थिति में करनी चाहिए। अगर आपके खेत की मिट्टी चिकनी और सख्त हो जाएगी तो शलजम की फसल अच्छी नहीं होगी।

खेत की तैयारी

शलजम की खेती के लिए खेत को भुरभुरा बनाना चाहिए। इसके लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए। इसके बाद 3 से 4 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करनी चाहिए और जुताई करनी चाहिए।

  • शलजम की खेती के लिए पहली या दूसरी जुताई में 250 से 300 क्विंटल कम्पोस्ट या गोबर की खाद डालना चाहिए।
  • वह मिट्टी में अच्छे से मिल जाए।
  • इसके बाद 100 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस और 50 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिए।
  • फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा अंतिम जुताई में तथा नत्रजन की आधी मात्रा देनी चाहिए।
  • नत्रजन की आधी मात्रा खड़ी फसल में दो बार देनी चाहिए।
  • पहली छमाही फलों के विकास के समय देनी चाहिए जब पौधों की 4 से 5 पत्तियां निकल आती हैं।

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बीज की किस्में

शलजम की एशियाई या उष्णकटिबंधीय किस्में – पूसा स्वीटी, पूसा कंचन, सफेद 4, लाल 4, शलजम एल-1 और पंजाब सफेद आदि और यूरोपीय समशीतोष्ण किस्में – गोल्डन, पर्पल टाइप व्हाइट ग्लोब, स्नोबॉल, पूसा मून, पूसा गोल्डन, आदि मुख्य है

इस फसल के लिए 3 से 4 किलो बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। इसके उपचार के लिए 3 ग्राम बाविस्टिन या कैप्टन प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करना चाहिए।

बुवाई

शलजम की खेती के लिए बुवाई का समय सितंबर से अक्टूबर तक और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए जुलाई से अक्टूबर उपयुक्त है। इसकी बुवाई में लाइन से लाइन की दूरी 30 से 40 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेमी और गहराई 2 से 3 सेमी होनी चाहिए।

सिंचाई

शलजम की बुवाई के 8 से 10 दिन बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए। बाद में आवश्यकतानुसार 10 से 15 दिनों के बाद सिंचाई जारी रखनी चाहिए।

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निराई

शलजम की फसल में 2 से 3 निराई-गुड़ाई करनी पड़ती है। यदि खेत में खरपतवार अधिक हों तो बुवाई के 2 दिन बाद पेंडीमेथालिन 3 लीटर को 800 से 900 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए।

रोग और कीट की रोकथाम

शलजम की फसल में पीत रोग, तुषार और फफूंदी जैसे रोग पाए जाते हैं। इनकी रोकथाम के लिए रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन कर बीजों को उपचारित कर बोना चाहिए।

रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ कर मिट्टी में गाड़ देना चाहिए। इसके साथ ही डाइथेन एम 45 या जेड 78 के 0.2 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए।

शलजम की फसल में महू, मुंगी, बालों वाला कीड़ा, लार्वा और मक्खी जैसे किटों का उपयोग किया जाता है। इनकी रोकथाम के लिए मैलाथियान 1 लीटर को 700 से 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

इसके साथ ही समान मात्रा में 1.5 लीटर पानी मिलाकर प्रति हेक्टेयर एंडोसल्फान का छिड़काव करना चाहिए।

Shalgam ki kheti – शलजम की खेती कैसे करें?

कटाई

शलजम की खुदाई जब इसकी जड़ें खाने योग्य हो जाएं तो खुदाई शुरू कर देनी चाहिए।

उत्पादन

उपरोक्त विधि से खेती करने के बाद इसकी उपज 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए।

शलजम कितने प्रकार के होते हैं?

शलजम की खेती(Shalgam ki kheti) 3 प्रकार की होती है :-
1. पूसा शवेती : सफेद जड़ें, 45-50 दिन में तैयार, बुवाई अगस्त से सितम्बर
2. पूसा कंचन : हल्की लाल जड़ें, 50-55 दिन में तैयार,बुवाई अगस्त अन्त से अक्टूबर
3. पर्पल टाप व्हाइट ग्लोब : गोल ऊपर से बैंगनी जड़ें, 60-65 दिन में तैयार, बुवाई अक्तूबर से जनवरी

शलजम की खेती कब की जाती है?

शलजम की खेती(Shalgam ki kheti) की बुवाई अगस्त-सितम्बर में की जाती है । जड़ें काफी समय तक खेत में छोड़ सकते हैं । जड़ें चमकदार व सफेद होती हैं । 40-45 दिन में खाने लायक होती है ।

शलजम में कौन से विटामिन होते हैं?

शलजम की खेती(Shalgam ki kheti) की बात करें तो इसमें विटामिन ए, विटामिन सी पाए जाते है।

अंतिम शब्द

किसान भाइयो, इस पोस्ट में आपको बताया है की शलजम की खेती कैसे करें? और शलजम की खेती के बारे में पूरी जानकारी आपको बताई हैं अगर यह लेख अच्छा लगा तो कमेंट करें और दूसरे किसान भाइयो को भी शेयर करें ताकि उनको भी जानकारी मिले। धन्यवाद, जय जवान जय किसान।

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