साहू जाती (Sahu Caste) के गोत्र, इतिहास और जनसख्या

साहू गोत्र एक उपनाम है जो भारत और पाकिस्तान में पाया जाता है। इस उपनाम वाले लोग विभिन्न जातियों और जनजातियों में पाए जाते है। आइये आपको पूरा बताते Sahu Caste के बारे में-

Sahu Caste
Sahu Caste

साहू गोत्र (Sahu Caste)

“साहू” शब्द का अर्थ अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग होता है। इसका सबसे व्यापक अर्थ “व्यवसाय” या “साहूकार” है झेलम क्षेत्र में इसका अर्थ सज्जनता के रूप में लिया जाता है, जबकि जाटों में इसका अर्थ धैर्यवान के रूप में माना जाता है। भारत में यह गखर, जाट और राजपूत समुदायों में पाया जाता है।

इसके अलावा यह उपनाम धुंड, धनियाल, कालिया और सत्ती नाम की जनजातियों में भी पाया जाता है। लुधियाना क्षेत्र में ग्रेवाल जाट भी इस उपनाम का उपयोग करते हैं। जाटों की एक जनजाति सियाल भी इस उपनाम का उपयोग करती है।

कबीरवाला क्षेत्र की अन्य जाट जनजातियाँ इस उपनाम का उपयोग करती हैं। गुजरात और मध्य प्रदेश में मारवाड़ी व्यवसायी साहू उपनाम का प्रयोग करते हैं। साहू उपनाम वाले बिहार, झारखंड के लोग सौदिक, रौनियार, तेली जाति के हैं।

झारखंड में ज्यादातर साहूकार व्यापार का काम करते हैं। महाराष्ट्र में, साहू उपनाम(Sahu Caste) वाले लोग तेली जाति के हैं। ये वे लोग हैं जो बुंदेलखंड क्षेत्र से कुछ युद्धों के कारण विदर्भ क्षेत्र में आए हैं।

साहू जाती कोनसी कैटेगिरी में आती है ?

आपको बता दे की साहू जनजाति OBC यानि की अन्य पिछड़ा वर्ग में आती हैं |

साहू कौन सी जात होती है?

  • साहू उपनाम वाले बिहार, झारखंड के लोग सौदिक, रौनियार, तेली जाति के हैं।
  • झारखंड में ज्यादातर साहूकार व्यापार का काम करते हैं।
  • महाराष्ट्र में, साहू उपनाम वाले लोग तेली जाति के हैं।
  • ये वे लोग हैं जो बुंदेलखंड क्षेत्र से कुछ युद्धों के कारण विदर्भ क्षेत्र में आए हैं। 

छत्तीसगढ़ में साहू समाज की शाखाएं

  1. झरिया शाखा- इस शाखा को झेरिया या झिरिया भी कहते है ।
  2. हरदिहा शाखा- इस शाखा के लोग रायपुर नगर के आस -पास, धमतरी एवं दुर्ग जिला के धमधा क्षेत्र में निवासरत है। 
  3. राठौर शाखा- इस शाखा के लोग जांजगीर जिला के सक्ती क्षेत्र में निवासरत है ।

बिश्नोई समाज का इतिहास

साहू का गोत्र क्या है? साहू गोत्र एक उपनाम है जो भारत और पाकिस्तान में पाया जाता है। इस उपनाम वाले लोग विभिन्न जातियों और जनजातियों में पाये जा सकते हैं। शब्द “साहु” का अर्थ अलग-अलग क्षेत्रों पर अलग-अलग है। इसका सबसे व्यापक अर्थ “व्यवसाय” अथवा “साहूकार” हैं।

साहू जाती की जनसख्या

(1) झारखण्ड: राज्य की वर्तमान जनसंख्या का 12 प्रतिशत हैं साहू समाज के लोग। आबादी लगभग 37 लाख। रांची लोकसभा क्षेत्र के 42 गांवों में इस जाति का प्रभुत्व है।
 
सिंहभूम को छोड़ पूरे राज्य में है अच्छी आबादी। संताल परगना में भी खासा प्रभाव। उत्तरी छोटानागपुर और पलामू प्रमंडल में भी बहुलता।

Jakhar Caste – जाखड़ जाति की उत्पत्ति और इतिहास

(2) उत्तर प्रदेश: पुरे देश के कई राज्यों में साहू जाती(Sahu Caste) बड़े पैमाने पर है अगर बात कि जाए उत्तर प्रदेश में साहू जाति(Sahu Caste) की जनसंख्या कि तो प्रदेश में 1.5 से 2 फीसदी तक जनसंख्या है। इसके अलावा इस जाती की जनसख्या की बात की जाए तो पुरे देश में यह जाती बड़ी सख्या में पायी जाती है |

हरियाणा में जाटो की बात की जाए तो जाटो में भी यह जनजाति बड़े पैमाने पर पायी जाती है इसके साथ साथ बिहार, गुजरात,मध्य प्रदेश,राजस्थान और पंजाब में भी यह जाती पायी जाती है |

Beniwal Caste – बेनीवाल जाति का इतिहास !

साहू जाती का इतिहास

13 दिसम्बर, 1919 के जलियावालाबाग कांड में 23 वर्षीय स्व० श्री खैरदीन साहू को अंग्रेजों ने गोलियों से भून डाला। चौरी-चौरा काण्ड के अमर शहीदों में भगवानदीन साहू का नाम प्रमुख था।

देश की आजादी में साहू समाज को अहम योगदान रहा है। देश को जब-जब जरूरत पड़ी साहू समाज में जनमें महापुरुषाें ने अपनी कुर्बानी दी है।

छिम्पा जाती (Chhimpa Caste) की उत्पति और इतिहास

छत्तीसगढ साहू संघ का इतिहास

  • ऐसा कहा जाता है कि संपूर्ण छत्तीसगढ में राजा परिहा एवं कुरहा प्रथा का चलन था जो कि यही संगठन का आधार था ।
  • वार्षिक सभा के समय एक पईली चांवल एक पैसा प्रति परिवार का सहयोग लेकर पूर्ण श्रद्धा एवं संगठन से प्रेरित होकर मनोयोग से लाग सामाजिक सम्मेलनों में सम्मिलित होते थे ।
  • आत्मीयता होती थी ।
  • उत्साह विश्वास बढता था ।
  • अब तक क या क्षैत्र तथा तहसील स्तर पर संगठन प्रांरभ हो चुका था ।
  • इसी मध्य राजनांदगांव में संपूर्ण छत्तीसगढ का प्रथम साहू धर्मशाला का निर्माण हुआ ।
  • इसी की प्रेरणा से छत्तीसगढ साहू समाज की प्रेरणा स्त्रोत मंदिर भक्तिन राजिम के जीर्णोद्धार का कार्य भी किया गया ।
  • यहां माघ पूर्णिमा के दिन सभी जगह से साहू समाज सम्मिलित होते सामाजिक चर्चाएं होती तथा वैवाहिक बातचीत भी होती थी , यहा परम्परा निरंतर प्रचलित में है ।  
  • 1961 मैं दाऊ उत्तम साव खोपली, दुर्ग को समाज रत्न का सम्मान मिला ।

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अंतिम शब्द- दोस्तों आपको इस में हमने साहू जाती के बारे में पूरी जानकारी दी है और साहू जाती का इतिहास और साहू की जनशख्या के  बारे में भी आपको जानकारी  दी है।

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अगर आपको साहू जाती के बारे में  दी गयी जानकारी अच्छी लगी तो कमेंट करें और शेयर करें।आपका दिन शुभ हो ,धन्यवाद।

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13 Comments

  1. Akash sahu says:

    Mujhe gurb hai ki mein sahu hun

  2. Anmol Gour says:

    Wah bahut khoob mere man mai jo question the unke answer is post se mil gye mai apse ek request Krna chahti hu.. gour surname obc caste ke liye bhi ek post bnakr upload kijiye gour samaj ki history visheshata yogdan kafi interesting cheeze is post jesi btao plz pls pls i request to you…

    1. Ranjit Gaur says:

      I m also Gaur But We Are Not A Bania.
      First of We Are all Indians 🙏🏻❣️

  3. Vikas Sahu says:

    Mujhe garv he ki me sahu hu
    Or apna sahu samaaj no.1 he

  4. अंकित says:

    साहू में खारखंडिअ गोत्र के बारे बताओ

  5. LOVE VERMA says:

    Mai ek Verma(Lodhi) hu lekin mere jitne bhi dost hai vo sab sahu hai

  6. Sarvendra Pratap Singh says:

    मुझे गर्व है कि हम उत्तर प्रदेश में राहने वाला राठौर साहू समाज
    Sarvendra pratap singh राठौर

  7. Ashish sahu says:

    देशमुख और कुरेशिया कास्ट कौन सी है

  8. आदेश says:

    🙏🏿☺️❤️

  9. Sunil Kumar sahu says:

    तेली जाति होने पर मुझे गर्व है कि मैं भी साहू

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