पूनिया जाति की उत्पत्ति और इतिहास क्या है?
पूनिया उत्तरी भारत में पाए जाने वाले जाट लोगों कि एक गौत्र है हरियाणा के पूनिया जाट सर्वोतर जाट श्रेणि में आते है।

पूनिया जाट गोत्र का इतिहास क्या है ?
पूनिया जाटों की एक स्वतंत्र रियासत काला सागर के निकट लघु एशिया (Asia Minor) में थी। वहां से महान् सम्राट् दारा (Darius) ने इनको अमरिया के निकट बैक्ट्रिया (Bactria) क्षेत्र में भेज दिया।” पौनिया और तोखर गोत्र के जाट छठी शताब्दी ई० पू० यूरोप में थे।
दूसरे जाट वंशों एकी भांति समय अनुसार पौनिया जाट भी विदेशों से अपने पैतृक देश भारतवर्ष में लौट आये। ये लोग भारतवर्ष के उत्तर-पश्चिमी दर्रों से आये। पहले ये लोग इसी पश्चिमी सीमा में बस गये।
इसके प्रमाण इस बात से हैं कि आज भी पौनिया जाटों की संख्या पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर बसे हुए बन्नूं, डेरा ईस्माइलखान, डेरा गाजीखान, डेरा फतहखान नगरों में हैं।
ये डेरा नाम वाले तीनों किले पूनिया जाट राजा जसवन्तसिंह ने अपने तीन पुत्रों सहित इस्लाम में प्रवेश करने पर बनवाये थे। डेरा इस्माइलखान के किले पर यह लेख लिखा हुआ है।
वहां पर एक कहावत भी प्रचलित है कि “मान पूनिया चट्ठे, खानपीन में अलग-अलग लूटने में कट्ठे।” अर्थात् ये तीनों गोतों के जाट उधर के बहुसंख्यक लड़ाकू गिरोह थे। उस क्षेत्र में मान और चट्ठा मुसलमानधर्मी जाटों की भी बड़ी संख्या है।
भारत की पश्चिमी सीमा से चलकर पौनिया जाटों का एक बड़ा दल जांगल प्रदेश (राजस्थान) में सन् ईस्वी के आरम्भिक काल में पहुंच गया था। इन्होंने इस भूमि पर पन्द्रहवीं शताब्दी के अन्तिम काल तक राज्य किया था।
जोधपुर प्रसिद्ध हो जाने वाले देश से पौनिया जाटों ने दहिया लोगों को निकाल दिया था। जिस समय राठौरों का दल बीका और कान्दल के संचालन में जांगल प्रदेश में पहुंचा था उस समय पौनिया जाट सरदारों के अधिकार में 300 गांव थे।
पौनिया (पूनिया जाट गोत्र) के 300 गांव परगनों में बांटे हुए थे जिनके नाम क्या है ?
- भादरा
- अजीतगढ़
- सीधमुख
- दादर
- राजगढ़
- साकू
ये बड़े नगर थे जिनमें किले बनाये गये थे। इन जाटों का यहां प्रजातंत्र राज्य था। उस समय इनकी राजधानी झासल थी जो कि हिसार जिले की सीमा पर है।
रामरत्न चारण ने “राजपूताने के इतिहास” में इन राज्यों का वर्णन किया है और पौनिया जाटों की राजधानी लुद्धि नामक नगर बताया है। “टॉड राजस्थान”, “तारीख राजस्थान हिन्द” और “वाकए-राजपूताना” आदि इतिहासों में इनका वर्णन है।
पुनिया कौन सी जाती है: हरियाणा के पूनिया जाट सर्वोतर जाट श्रेणि में आते है।
पूनिया: उत्तरी भारत में पाए जाने वाले जाट लोगों कि एक गौत्र है। एशियाई खेल 2018 में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक लेने का गौरव बजरंग पूनिया को जाता है। हरियाणा के पूनिया जाट सर्वोतर जाट श्रेणि में आते है।
पूनिया जाति के कुलदेवता कोन है ?
जाटों में पूनिया बाहद गोत्र की कुलदेवी या कुलदेवता कालका माता (कैवाय माता) है। जो बाड़मेर जिला राजस्थान में हैं। अगर आप कुलदेवी या कुलदेवता के नाम से भ्रमित ना हों. कुलदेवता और कुलदेवी एक ही होते हैं।
कुलदेवता या कुलदेवी पूरे कुल के देवता होते हैं। इस पोस्ट में आपको पूनिया जाति के बारे में बताया गया है पूनिया जाति का इतिहास व उनके कुलदेवता कोन है सारी जानकारी दी गई है आसा ह की आपको हमारी ब्लॉग पोस्ट अच्छी लगी होगी |