मटर की खेती में खाद, दवा, लागत, मुनाफा की सम्पूर्ण जानकारी

मटर एक फलीदार फसल है, इसकी जल्दी खेती करके आप अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। इसकी बुवाई सितम्बर के अन्तिम सप्ताह अथवा अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में की जा सकती है।

सबसे अच्छी बात यह है कि मटर की अगेती फसल महज 50 दिनों में तैयार हो जाती है। इससे मटर की खेती के बाद अन्य फसलें भी समय पर की जा सकती हैं। तो आइए जानते हैं मटर की अगेती खेती के बारे में पूरी जानकारी-

matar ki kheti कैसे करें

भूमि की तैयारी

matar ki kheti विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, फिर भी गंगा के मैदानों की गहरी दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त है। मटर के लिए भूमि अच्छी तरह से तैयार होनी चाहिए। खरीफ की फसल की कटाई के बाद दो-तीन बार हल से हल चलाकर या पैड से जुताई करके मिट्टी की जुताई करके जमीन तैयार करनी चाहिए। धान के खेतों में मिट्टी के ढेले तोड़ने का प्रयास करना चाहिए। अच्छे अंकुरण के लिए मिट्टी में नमी आवश्यक है।

मटर की किस्में

  1. आर्केल
  2. पंत मटर 155
  3. अर्ली बैजर
  4. काशी शक्ति
  5. काशी नंदिनी
  6. आजाद मटर 1
  7. पूसा
  8. काशी उदय
  9. लिंकन
  10. टी 9
  11. अर्ली दिसंबर
  12. असौजी

बुवाई के समय

मटर की बुवाई खरीफ फसल की कटाई के आधार पर मध्य अक्टूबर से नवंबर तक की जाती है। हालांकि, बुवाई के लिए उपयुक्त समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह तक है।

मटर में खाद्य और उर्वरक –

मटर में सामान्यत: 20 किग्रा. नाइट्रोजन तथा 60 किग्रा. फॉस्फोरस को बुवाई के समय लगाना पर्याप्त होता है। इसके लिए 100-125 किग्रा. डायमोनियम फॉस्फेट (डी, ए, पी) प्रति हेक्टेयर दिया जा सकता है। पोटेशियम की कमी वाले क्षेत्रों में 20 किग्रा. पोटाश (म्यूरेट ऑफ पोटाश के माध्यम से) दिया जा सकता है।

जिन क्षेत्रों में गंधक की कमी हो, वहां भी बुवाई के समय गंधक देना चाहिए। यह सलाह दी जाती है कि उर्वरक लगाने से पहले मिट्टी का परीक्षण कर लें और कमी होने पर उपयुक्त पोषक तत्वों को खेत में डालें।

मटर में सिंचाई का सही समय

मटर में सिंचाई का सही समय शुरू में मिट्टी की नमी और सर्दियों की वर्षा के आधार पर 1-2 सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई फूल आने के समय और दूसरी सिंचाई फली बनने के समय करनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हल्की सिंचाई करें और फसल में पानी जमा न हो। matar ki kheti

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार फसल के लिए पोषक तत्वों और पानी को अवशोषित करके फसल को कमजोर कर देते हैं और उपज को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। वृद्धि के प्रारंभिक चरण में खरपतवारों की तुलना में फसल को अधिक नुकसान होता है। यदि इस दौरान खेत से खरपतवार नहीं हटाया जाता है, तो फसल की उत्पादकता बुरी तरह प्रभावित होती है।

यदि खेत में बथुआ, सेंजी, कृष्णनिल, सतपती जैसे चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार अधिक हों तो 4-5 लीटर स्टैम्प-30 (पांडीमेथलिन) को 600-800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर तुरंत छिड़काव करना चाहिए। . इससे काफी हद तक खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है

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मटर की कटाई

मटर की कटाई मटर की फसल सामान्यतः 130-150 दिनों में पक जाती है। इसे हंसिया से काटा जाना चाहिए, 5-7 दिनों तक धूप में सुखाकर बैलों से तोड़ना चाहिए। साफ अनाजों को 3-4 दिनों तक धूप में सुखाकर भंडारण डिब्बे में डाल देना चाहिए। भंडारण के दौरान कीट संरक्षण के लिए एल्युमिनियम फास्फाइड का प्रयोग करना चाहिए।

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अंतिम शब्द

किसान भाइयो, आपको इस आर्टिकल में मटर की खेती के बारे में आपको बड़े ही विस्तार से बताया है जिसे जानकर आप Matar Ki Kheti में अच्छी उपज भी प्राप्त कर सकोगे | अगर आपको हमारा पोस्ट अच्छा लगा तो अपने मित्रगणों को शेयर करें |

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