जई की खेती (Oats farming) जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

जई एक महत्वपूर्ण अनाज और चारे की फसल है। jooi ki kheti गेहूं की खेती के समान ही है। यह विशेष रूप से समशीतोष्ण और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है। ऊंचाई वाले तटीय क्षेत्रों में भी इसकी पैदावार अच्छी होती है।

यह अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए काफी प्रसिद्ध है। ओट फ़ूड की गिनती मशहूर फ़ूड में होती है। ओट्स प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होते हैं। यह वजन कम करने, रक्तचाप को नियंत्रित करने और रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ाने में भी मदद करता है।

जई की खेती कैसे करे

Jai Ki Kheti – जई की खेती कैसे करे

जई की खेती रबी मौसम में एक प्रमुख फसल मानी जाती है। पिछले कुछ वर्षों से बाजार में जई की मांग काफी बढ़ गई है, इसलिए इसकी खेती से किसानों को अधिक लाभ मिल रहा है। देश में जौ की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और जम्मू-कश्मीर में की जाती है।

देश में 8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हर साल करीब 16 लाख टन जौ का उत्पादन होता है। इसका उपयोग कई उत्पादों में किया जाता है, जैसे कि चारा, पशु चारा, चारा और कई औद्योगिक उपयोग (वाइन, बेकरी, पेपर, फाइबर पेपर, फाइबर बोर्ड जैसे उत्पाद)। आइए हम अपने किसान भाइयों को जौ की खेती (jooi ki kheti) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं।

जई की किस्में

जई की किस्में कई प्रकार की आती है, उन्नत किस्में जैसे वहर जय-1, जेएआई-2, जेएआई-03-91, कैंट, ओएस-6, जे.एच.ओ. 822 या JHO बुवाई से पहले विश्वसनीय स्थान से 851 शुद्ध प्रमाणित और अच्छे अंकुरण बीज को बचाएं।

जई की बुवाई का समय

  1. अक्टूबर के दूसरे से अंतिम सप्ताह को बुवाई के लिए उपयुक्त माना जाता है।
  2. पंक्तियों में 25-30 सें.मी. की दूरी बनाकर रखें।
  3. बीज की गहराई 3-4 सेमी. होना चाहिए
  4. बीज की गहराई जीरो टिलर मशीन या बुवाई मशीन से की जा सकती है।

जई की बीज मात्रा

  1. जई की बीज मात्रा 25 किलो बीज प्रति एकड़ प्रयोग करें।
  2. जई की बीज अगर चारे के लिए बिजे तो मात्रा 35 किलो बीज प्रति एकड़ प्रयोग करें।

खाद और उर्वरक

जई की अच्छी पैदावार के लिए 10 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद खेत में बिखेर कर अंतिम जुताई से पहले मिट्टी में मिला देना चाहिए। इस फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 80 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो स्फूर और 20 किलो पोटाश की आवश्यकता होती है। बुवाई के समय कुल नत्रजन की एक तिहाई मात्रा तथा स्फोरा एवं पोटाश की पूरी मात्रा देनी चाहिए। बची हुई नाइट्रोजन को क्रमशः पहली और दूसरी सिंचाई के बाद दो बराबर भागों में देना चाहिए।

बिजाई के समय 2 किलो एजाटोबैक्टर का प्रयोग 20 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर कम कर सकता है( jooi ki kheti )और आधा किलो पीएसबी बैक्टीरियल कल्चर का उपयोग करने से स्फूर की उपयोगिता बढ़ जाती है। इन दोनों जीवाणु कल्चर का उपयोग करने के लिए 500 किलो गोबर में मिलाकर बुवाई के समय पंक्तियों में देना लाभकारी होता है।

जई में सिंचाई प्रबंधन

जई की फसल में पहली सिंचाई बुवाई के 20 से 25 दिन बाद करनी चाहिए। जल निकासी की उचित व्यवस्था करनी चाहिए, जहां पानी रुकता है वहां पौधे पीले पड़ने लगते हैं। सिंचाई की संख्या और मात्रा मिट्टी के प्रकार और तापमान पर निर्भर करती है। फिर भी अच्छे उत्पादन के लिए 3 से 4 सिंचाई आवश्यक है। स्वस्थ और मजबूत बीजों के उत्पादन के लिए बचपन से लेकर दूध निकलने की अवस्था तक खेतों में नमी होनी चाहिए। नमी की कमी से बीज उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और उत्पादन कम हो जाता है।

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जई में खरपतवार नियंत्रण

हरे चारे के लिए जई की खेती में खरपतवार नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन अगर इसकी खेती(jooi ki kheti) उपज के लिए की जाती है तो खरपतवार नियंत्रण के लिए दो बार निराई करना अच्छा रहता है। इसकी पहली गुड़ाई बीज बोने के एक महीने बाद करनी चाहिए। और दूसरी निराई पहली निराई के एक महीने बाद करनी चाहिए।

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जई में रोग

चेपा : यह जई की फसल का प्रमुख कीट है।यह पौधों की कोशिकाओं का रस चूसता है। इससे पत्तियां मुड़ जाती हैं और उन पर धब्बे पड़ जाते हैं।

इनके हमले को रोकने के लिए डाइमेथोएट 30 ईसी 0.03 प्रतिशत का प्रयोग करें। छिड़काव के 10-15 दिनों के बाद जई की फसल को पशुओं को चारे के रूप में न डालें।

जड़ सड़न: यह जड़ों के विषाणु के कारण होता है। बिजाई से पहले बीजों को अच्छी तरह से उपचारित कर इस रोग से बचा जा सकता है।

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जई की कटाई

जई की कटाई बिजाई के 4-5 महीने बाद जई पूरी तरह पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।(jooi ki kheti) दाने झड़ने से बचाने के लिए अप्रैल महीने के शुरूआत में ही कटाई कर लेनी चाहिए।

अंतिम शब्द

किसान भाइयो, आपको इस आर्टिकल में जई की खेतीके बारे में आपको बड़े ही विस्तार से बताया है जिसे जानकर आप Jooi Ki Kheti में अच्छी उपज भी प्राप्त कर सकोगे | अगर आपको हमारा पोस्ट अच्छा लगा तो अपने मित्रगणों को शेयर करें |

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