Jhansi Ka Kila किसने बनवाया था और इसके रहस्य ?

Jhansi ka kila– दोस्तों, अगर बार करें झाँसी के किले की तो यह किला 15 एकड़ में फैला हुआ है। झाँसी के किले(Jhansi ka kila) का इतिहास और कुछ अन्य जानकारी प्राप्त करें के लिए यह लेख पूरा पढ़ें-

Jhansi ka kila

Jhansi ka kila in Hindi

Jhansi ka kila– झाँसी के किले का निर्माण ओरछा के बुंदेला राजा बिरसिंह जूदेव ने 1613 ई. में उत्तर प्रदेश राज्य के झांसी में बंगरा नामक पहाड़ी पर करवाया था। बुंदेलों ने यहां 25 वर्षों तक शासन किया, उसके बाद इस किले पर क्रमशः मुगलों, मराठों और अंग्रेजों का शासन रहा। 1729-30 में मराठा शासक नरुशंकर ने इस किले में कई बदलाव किए, जिससे यह विकसित क्षेत्र शंकरगढ़ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में इसे बहुत महत्वपूर्ण स्थान मिला।

1938 में इस किले(Jhansi ka kila) को केंद्रीय संरक्षण में ले लिया गया था। यह किला 15 एकड़ में फैला हुआ है। इसके दो तरफ 22 बुर्ज और रक्षा खाइयां हैं। शहर की दीवार में 10 फाटक थे। साथ ही 4 खिड़कियां थीं। किले के भीतर बारादरी, पंचमहल, शंकरगढ़, रानी का नियमित पूजा स्थल, शिव मंदिर और गणेश मंदिर हैं जो मराठा वास्तुकला के सुंदर उदाहरण हैं।

जंपिंग ग्राउंड, कड़क इलेक्ट्रिक तोप पर्यटकों का खास आकर्षण है। फांसी के घर का इस्तेमाल राजा गंगाधर के समय में होता था, जिसे रानी ने रोक दिया था।

किले के उच्चतम बिंदु पर ध्वज स्थल है जहाँ आज तिरंगा फहरा रहा है। किला शहर का भव्य दृश्य प्रस्तुत करता है। यह किला भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है और पर्यटकों को इसे देखने के लिए टिकट लेना पड़ता है। साल भर भ्रमण किया जा सकता है। यहां सड़क और रेल दोनों से पहुंचा जा सकता है।

झांसी का किला किसने बनवाया था?

झाँसी के किले(Jhansi ka kila) का निर्माण ओरछा के बुंदेला राजा बिरसिंह जूदेव ने 1613 ई. में उत्तर प्रदेश राज्य के झांसी में बंगरा नामक पहाड़ी पर करवाया था।

झांसी का इतिहास

9वीं शताब्दी में, झोसी राज्य खजुराहो के राजपूत चंदेल वंश के राजाओं के अधीन आ गया। पहाड़ी क्षेत्र के कृत्रिम जलाशय और स्थापत्य के खंडहर संभवत: इसी काल के हैं। चंदेल वंश के बाद उनके नौकर खंगार ने इस क्षेत्र की कमान संभाली। किले के पास स्थित करार का किला इसी वंश के राजाओं ने बनवाया था। 14वीं शताब्दी के आसपास बुंदेलों का विंध्याचल क्षेत्र से मैदानी इलाकों में आना शुरू हो गया था। वे धीरे-धीरे पूरे मैदानी क्षेत्र में फैल गए, जिसे आज बुंदेलखंड के नाम से जाना जाता है। झांसी का किला 1613 ई. में ओरछा शासक वीर सिंह बुंदेला द्वारा बनवाया गया था। किंवदंती है कि राजा वीर सिंह बुंदेला ने दूर से पहाड़ी पर एक छाया देखी, जिसे बुंदेली भाषा में ‘झाई सी’ कहा जाता था। इस झांसी शब्द की व्युत्पत्ति से शहर का नाम पड़ा।

  • मराठों द्वारा विकास
    बुंदेला राजा छत्रसाल ने 1732 ईस्वी में बुंदेला क्षेत्र में मुगल शासकों के लगातार आक्रमणों के कारण 1732 ई. में मराठों से मदद मांगी। 1734 ई. में छत्रसाल की मृत्यु के बाद बुंदेला क्षेत्र का एक तिहाई भाग मराठों को दे दिया गया। मराठों ने इस शहर का विकास किया और इसके लिए ओरछा से लोगों को लाकर यहां बस गए। वर्ष 1806 में जब मराठा शक्ति कमजोर हुई तो ब्रिटिश राज और मराठों के बीच एक समझौता हुआ, जिसके कारण मराठों ने ब्रिटिश साम्राज्य के प्रभुत्व को स्वीकार कर लिया। 1817 में, मराठों ने बुंदेलखंड क्षेत्र के सभी अधिकार ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिए।
  • ब्रिटिश साम्राज्य में विलय
    झांसी के राजा गंगाधर राव की मृत्यु 1857 ई. तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर-जनरल ने झांसी को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में ले लिया। गंगाधर राव की विधवा रानी लक्ष्मीबाई ने इसका विरोध किया और कहा कि “राजा गंगाधर राव के दत्तक पुत्र को राज्य का उत्तराधिकारी माना जाना चाहिए।” लेकिन ब्रिटिश राज ने इसे मानने से इनकार कर दिया। इन्हीं परिस्थितियों के कारण 1857 ई. का युद्ध झांसी में हुआ, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आधारशिला साबित हुआ। जून 1857 ई. में 12वीं इन्फैंट्री के सैनिकों ने झांसी पर कब्जा कर लिया और किले में मौजूद ब्रिटिश अधिकारियों को मार डाला। ब्रिटिश साम्राज्य के साथ युद्ध के दौरान, रानी लक्ष्मीबाई ने स्वयं सैन्य अभियान चलाया। लेकिन रानी की मृत्यु के बाद 1858 ई. में झांसी को फिर से ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। बाद में झांसी के अधिकार ग्वालियर के राजा को दे दिए गए। 1886 ई. में, झांसी को संयुक्त प्रांत में जोड़ा गया, जो देश की स्वतंत्रता के बाद 1956 में उत्तर प्रदेश बन गया।

झांसी का पुराना नाम

राजा वीर सिंह ने पहाड़ी पर बने किले के चारों ओर एक नगर बसाया, जिसका नाम बलवंत नगर रखा गया। उस समय झांसी को बलवंत नगर के नाम से जाना जाता था।

झांसी के किले का रहस्य – Jhansi ka kila

आपको बता दें कि यह किला(Jhansi ka kila) किसी भूल भुलैया से कम नहीं है। अगर कोई जानकारी नहीं है, तो उसके अंदर गहराई में जाकर दिशा को भूल सकते हैं। किले के अंदर अंधेरा होने के कारण दिन में भी यह डरावना लगता है।

कहा जाता है कि किले(Jhansi ka kila) में एक खजाने का रहस्य भी छिपा है, जिसे खोजने के चक्कर में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इतिहास के जानकार बताते हैं कि यहां के राजाओं के पास सोने, हीरे और रत्नों की कोई कमी नहीं थी। कई लोगों ने यहां खजाना खोजने की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहे।

निष्कर्ष- दोस्तों, आपको इस पोस्ट में हमने झाँसी के किले(Jhansi ka kila) के बारे में जानकारी दी है और बताया है की झांसी का इतिहास, झांसी का पुराना नाम, झांसी का किला किसने बनवाया था? और झांसी के किले का रहस्य इत्यादि के बारे में बताया है, अगर जानकारी पसंद आयी तो कमेंट करें।

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