गुर्जर जाति का इतिहास : गुर्जर शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?

प्राचीन काल में कला में गुर्जर का कौशल मुख्य रूप से खेल और पशुपालन के व्यवसाय से संबंधित था। गुर्जर को स्वस्थ रहने की स्थिति में रखने के लिए नियमित रूप से अच्छी तरह से तैनात।

महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, राजस्थान में गुर्जर रहते है। आम तौर पर गुर्जर हिंदू, सिख, मुस्लिम आदि सभी धर्मों में देखे जा सकते हैं।

Gujjar Caste
                                                                          Gujjar Caste
  • गुज्जर जाति के धर्म: हिन्दू, इस्लाम, सिख
  • गुज्जर जाति की भाषा: हिंदी,गुजराती, भोजपुरी,उद्दू, पंजाबी, मारवाड़ी, मराठी

भारत में गुज्जर जाति की जनसंख्या

  1. जम्मू कश्मीर : 2 लाख + 4 लाख
  2. पंजाब : 9 लाख
  3. हरियाणा : 14 लाख
  4. राजस्थान : 78 लाख
  5. गुजरात : 60 लाख
  6. महाराष्ट्र : 45 लाख
  7. गोवा : 5 लाख
  8. कर्णाटक : 45 लाख
  9. केरल : 12 लाख
  10. तमिलनाडु : 36 लाख
  11. आँध्रप्रदेश : 24 लाख
  12. छत्तीसगढ़ : 24 लाख
  13. ओद्दिसा : 37 लाख
  14. झारखण्ड : 12 लाख
  15. बिहार : 90 लाख
  16. पश्चिम बंगाल : 18 लाख
  17. मध्य प्रदेश : 42 लाख
  18. उत्तर प्रदेश : 200 लाख (2 करोड़)
  19. उत्तराखंड : 20 लाख
  20. हिमाचल : 45 लाख
  21. सिक्किम : 1 लाख
  22. असाम : 10 लाख
  23. मिजोरम : 1.5 लाख
  24. अरुणाचल : 1 लाख
  25. नागालैंड : 2 लाख
  26. मणिपुर : 7 लाख
  27. मेघालय : 9 लाख
  28. त्रिपुरा : 2 लाख
  • सबसे ज्यादा गुज्जर वाला राज्य: उत्तर प्रदेश ।
  • सबसे कम  गुज्जर वाला राज्य: सिक्किम ।
  • सबसे ज्यादा गुज्जर राजनेतिक वर्चस्व: पश्चिम बंगाल ।
  •  सबसे ज्यादा %  गुज्जर वाला राज्य: राजसथान में जनसँख्या के 20 % Gurjar अत्यधिक ।
  • साक्षर गुज्जर राज्य: केरल और हिमाचल ।
  • सबसे ज्यादा अच्छी आर्थिक स्तिथि में गुज्जर: आसाम ।
  • सबसे ज्यादा Gurjar विधायक वाला राज्य: उत्तर प्रदेश।

गुजर जाती का इतिहास

प्राचीन इतिहास के जानकारों के अनुसार गूजर मध्य एशिया के कॉकेशस क्षेत्र से आए थे लेकिन इसी इलाक़े से आए आर्यों से अलग थे। कुछ इतिहासकार इन्हें हूणों का वंशज भी मानते हैं।

भारत में आने के बाद कई वर्षों तक ये योद्धा रहे और छठी सदी के बाद ये सत्ता पर भी क़ाबिज़ होने लगे। सातवीं से 12 वीं सदी में गूजर कई जगह सत्ता में थे। गुर्जर-प्रतिहार वंश की सत्ता कन्नौज से लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात तक फैली थी।

मिहिरभोज को गुर्जर-प्रतिहार वंश का बड़ा शासक माना जाता है और इनकी लड़ाई बिहार के पाल वंश और महाराष्ट्र के राष्ट्रकूट शासकों से होती रहती थी। 12वीं सदी के बाद प्रतिहार वंश का पतन होना शुरू हुआ और ये कई हिस्सों में बँट गए।

गूजर समुदाय से अलग हुए सोलंकी, प्रतिहार और तोमर जातियाँ प्रभावशाली हो गईं और राजपूतों के साथ मिलने लगीं। अन्य गूजर कबीलों में बदलने लगे और उन्होंने खेती और पशुपालन का काम अपनाया। ये गूजर राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में फैले हुए हैं।

इतिहासकार कहते हैं कि विभिन्न राज्यों के गूजरों की शक्ल सूरत में भी फ़र्क दिखता है। राजस्थान में इनका काफ़ी सम्मान है और इनकी तुलना जाटों या मीणा समुदाय से एक हद तक की जा सकती है।

उत्तर प्रदेश, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में रहने वाले गूजरों की स्थिति थोड़ी अलग है जहां हिंदू और मुसलमान दोनों ही गूजर देखे जा सकते हैं जबकि राजस्थान में सारे गूजर हिंदू हैं।

मध्य प्रदेश में चंबल के जंगलों में गूजर डाकूओं के गिरोह सामने आए हैं। समाजशास्त्रियों के अनुसार हिंदू वर्ण व्यवस्था में इन्हें क्षत्रिय वर्ग में रखा जा सकता है लेकिन जाति के आधार पर ये राजपूतों से पिछड़े माने जाते हैं।

पाकिस्तान में गुजरावालां, फैसलाबाद और लाहौर के आसपास इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है। भारत और पाकिस्तान में गूजर समुदाय के लोग ऊँचे ओहदे पर भी पहुँच हैं. इनमें पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति फ़ज़ल इलाही चौधरी और कांग्रेस के दिवंगत नेता राजेश पायलट शामिल हैं।

राजस्थान में अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग करने वाले गुर्जरों का इतिहास बहुत पुराना है:
  • भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में भी गूजर समुदाय के लोगों की काफ़ी संख्या है लेकिन वहाँ पर वे हिंदू नहीं, मुसलमान हैं।
  • भारत में गूजर जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में भी है।
  • हिमाचल और जम्मू कश्मीर में जहां गूजरों को अनुसूचित जनजाति का दर्ज़ा दिया गया है वहीं राजस्थान में ये लोग अन्य पिछड़ा वर्ग में आते हैं।
  • कुछ वर्ष पहले राजस्थान में जाटों को ओबीसी में शामिल किए जाने के बाद से गूजरों में असंतोष है।
  • नौकरियों में बेहतर अवसर की तलाश में गूजर अब ये माँग कर रहे हैं कि उन्हें राजस्थान में अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिले।
  • हालांकि कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि राजस्थान के समाज में इनकी स्थिति जनजातियों से कहीं बेहतर है।
  • प्राचनी काल में युद्ध कला में निपुण रहे गूजर मुख्य रूप से खेती और पशुपालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं।
  • राजपूतों की रियासतों में गूजर अच्छे योद्धा माने जाते थे और भारतीय सेना में अभी भी इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है।

साहू जाती की जनसख्या और इतिहास

अंतिम शब्द: आज आपको इस आर्टिकल में गुर्जरों के बारे में बताया है यह आर्टिकल आप कैसे लगा कमेंट करके जरूर बताइए और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें ताकि उन्हें भी पता चले।

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