Godara Caste – गोदारा कौन सी जाती है? गोदारा जाति की उत्पत्ति और इतिहास
Godara Caste :- गोदारा (गोदरा एवं गुदारा भी) भारत के राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में रहने वाली जाट की गौत्र है।इस गौत्र के कुछ लोग पश्चिमी इलाकों जैसे गुजरात और पाकिस्तान में भी बस गये।
गोदारा जाट गोत्र मोहिल-माहिल जाट गोत्र से निकला है। यानी यह चंद्रवंशी गोत्र महिला का शाखा गोत्र है। कुछ इतिहासकारों ने यह भी लिखा है कि गोदावरी के तट पर बसने वालों को गोदारा कहा जाता था। वह जंगल प्रदेश के शासक थे।

गोदारा जाट गोत्र
Godara Caste :-गोदारा जाट गोत्र का निकास मोहिल- माहिल जाट गोत्र से है। अर्थात यह चन्द्रवंशी गोत्र माहिल का शाखा गोत्र है। कुछ इतिहासकारों ने ऐसा भी लिखा है कि गोदावरी के तटवर्तीय किनारे पर बसने वाले गोदारा कहलाए। ये जांगल प्रदेश के शासक थे। मेवाड़ वंश के राजकुमार को गोहित वंश ने गोद लिया, इसी से गोदारा हुए।
गोदारा इतिहास की संक्षिप्त रुपरेखा गोदारा जाति का प्राचीन नाम गोदावरा था। ये कोई उपजाति न होकर एक पूर्ण जाति थी जो दक्षिण भारत की गोदावरी नदी के आसपास बसती थी। जब ये लोग उत्तर भारत की तरफ बढऩे लगे तो धीरे धीरे इन्हे गोदावरा के स्थान पर गोदारा कहा जाने लगा। गोदारा लोग धीरे धीरे अपनी अलग संस्कृति को खोने लगे और इस जाति का एक भाग योगी (जोगी)जाति में शामिल हो गया।
- इसके बाद इस जाति के किसान लोग धीरे धीरे जाट जाति में शामिल होने लगे वहीं कुछ गवारिया मेघवाल जैसे समुदायो में भी शामिल हुए।
- इस जाति का विभाजन यहीं नही रुका और कुछ लोग सिख समुदाय में भी शामिल हो गए। किसान लोग जो जाटो में शामिल थे वो भी विशनोई और जाट दो समाजो में बंट गए।
- ये मूल रूप से प्राचीन भारत की आदिवासी जाति थी परन्तु अपनी भाषा और संस्कृति विलुप्त हो जाने और विभिन्न जातियो में शामिल होने के कारण इस जाति का आदिवासी आधार समाप्त हो गया।
- किसान वर्ग में शामिल गोदारा लोगों का अन्य गोदारा लोगो की बजाय ज्यादा विकास हुआ और पूर्व मध्यकाल में गोदारा जाति ने जांगल (वर्तमान बीकानेर) प्रदेश पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया।
- जब मारवाड़ के भगोड़े राजकुमार राव बिका की मुलाकात सरदार धन्नाराम गोदारा से हुई तो धन्नाराम गोदारा ने जांगल प्रदेश का शासन सशर्त बिका को सौप दिया। ये धन्नाराम गोदारा इस जाति का अंतिम शासक था।
- सम्भवत: धन्नाराम गोदारा ने ही पैर के अंगूठे से राव बिका का राजतिलक किया था।
- बीकानेर के रियासत के शासको का राजतिलक फिर इसी परम्परा से गोदारा जाति के लोगो द्वारा किया जाता रहा।
- स्वभाव से ईमानदार भोली और स्वामिभक्त गोदारा जाति के सरदारो द्वारा बीकानेर रियासत के विकास एव शांति में महत्वपूर्ण भूमिका रही।
गोदारा समाज का इतिहास
अंग्रेजी राज में रियासत की दयनीय कमजोर सिथति का फायदा उठाकर राजपूत सामन्तों ने विद्रोह करना शुरू कर दिया और रियासत के जसाना नोहर भद्रा (भादरा) सिधमुख आदि ठिकानेदारों ने मिलकर रियासत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया तब इस विकट परिस्थति में गोदारा सरदारो की सहायता सेे ठिकानेदारों को परास्त किया जा सका और रियासत की रक्षा हुई।वर्तमान में गोदारो की अधिकाश संख्या जाट विशनोई जोगी सिख मेघवाल गवारिया आदि समुदायो में पाई जाती है।
गोदारा संस्कृति के अंश बीकानेर के पास लुनियावास के आसपास पाये जाते हैं वहीं गोदारा लोगो की भाषा के कुछ प्रमाण बाड़मेर जिले की सिणधरी तहसील में मिलते हैं। वर्तमान में प्राचीन गोदारा संस्कृति और भाषा प्राय: लुप्त हो चुकी है। आदिम जाति शोध संस्थान और लेखक भल्ला के अनुसार गोदारा एक प्राचीन जाति है।
- गोदारा गोत्र के लोग राजस्थान के क्षेत्रों में काफी गांवों में आंशिक रूप से आबाद है।
- खाप रूप में नहीं। इनमें कुछ बिश्नोई सम्प्रदाय के हैं तथा कुछ सनातनधर्मी व वैदिक धर्मी भी हैं।
- रोडांवली, मोहन मगरिया, संगरिया जाखड़ावाली,पक्का भादवा, भांभूवाली ढाणी, डोभी(हिसार ) आदि सैकड़ों गांव हैं जिनमें गोदारा जाट आबाद हैं।
- इनके प्रसिद्ध रूप से चौधरी मनीराम गोदारा, चौधरी आत्माराम गोदारा, चौधरी श्योपत सिंह गोदारा, हरिराम गोदारा,चौधरी प्रताप सिंह गोदारा आदि रहे हैं।
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गोदारा गोत्र की उत्पत्ति
Godara Caste :- जांगल प्रदेश(वर्तमान नाम बीकानेर) के गोदारा/गोधर /गोधारा जाटों का संक्षिप्त इतिहास गोदारा जाटों की उत्पत्ति शिवि वंश से मानी गई है। सिकन्दर के आक्रमन के समय यह लोग शिविस्तान से निकल कर कई शाखाओं में विभक्त होकर अलग अलग जगह आबाद हुए थे।इनकी एक शाखा चित्तौड़ के समीप मझमिका से नासिक पहुँची यहां त्रयम्बक पहाड़ी पर प्राचीन शिव मंदिर का पुनः निर्माण करवाया था,गौतम ऋषि के प्रयास से प्रवाहित गोतमी नदी(वर्तमान गोदावरी) के किनारे शिवि जनपद के स्थापना की थी।शिवि जनपद के राजा द्वारा गौतमी नदी को पवित्र स्थान प्राप्त होने के कारण यह नदी गोदावरी नाम से प्रसिद्ध हुई गोदा शब्द का अर्थ होता है पवित्र
- जब इस क्षेत्र पर सातवाहन लोगो के आक्रमण हुए तो यह लोग यहां से निकलकर चित्तौड़ पहुँचे लेकिन चित्तौड़ पर मोर वंश का शासन धोखे से समाप्त करके नए राजवंश गुहिल का शासन प्रारम्भ हुआ था।
- गुहिलों ने शिवि जाटों से अपने को खतरा समझते हुए शिवि वंशी गोदारों को अपना धर्म भाई बनाते हुए शिविवंशी गोदारा जाटों को अन्यत्र बसने पर राजी किया इस कारण से यह लोग नए राज की तलाश में जांगल प्रदेश में आबाद हुए थे।
- गोदावरी नदी के किनारे से आने तथा अपने राजा गुहदत्त शिवि के नाम से यह लोग गोदारा नाम से प्रसिद्ध हुए
- गोदारा गोत्र के कुलदेवता भगवान महादेव शिव हैं और कुलदेवी सती माता(बाण माता) है ।
- इनकी पवित्र नदी गोदावरी और पवित्र वेद इनकी प्रथम राजधानी लाघड़िया थी।
- लेकिन युद्ध मे मोहिलों को हराने के बाद इन्होंने 8 वी शताब्दी में रुनिया को बसाया था। यह ही इनकी वास्तविक राजधानी बनी थी।
- रुनदेव गोदारा के 12 पुत्र थे उनके 12 खेड़े(बास) हुए जिनके नाम शेरेरा,आसेरा, राजेरा,पुरेरा,हेमेरा, रूपेरा,आनंदपुर, बड़ा बास इन मे से शेरेरा में गोदारों की पंचायत होती थी।
रुनिया के राजा कर्मसी गोदारा की शादी 1046 ईस्वी में बुरडक गोत की जाटनी आभलदे से हुई गोदारा वंशवाली की बात की जाए तो राजा वीरभद्र से गोदारों की 268 वी पीढ़ी चल रही है। जिसमे बीरभद्र ,गुणभद्र,गुह्भद्र,सोमदत्त,नागदत्त,गुहदत्त,रुनदेव,धुकलधर,दीवदत्त(दिवराज),सोनभद्र,गुणभद्र द्वितीय,धीरदल,खरराज,विहारदेव,मैंन राज,मलूकदेव, सिंधुराज(हिन्दो जी) ,पांडुजी मुख्य है गोदाराओ का अंतिम शासक पाण्डु गोदारा था।
गोदारा जाति (Godara Caste) के कुलदेवता
गोदारा गोत्र के कुलदेवता भगवान महादेव शिव हैं और कुलदेवी सती माता(बाण माता) है ।
पांडुजी गोदारा की वंशावली (भाट इतिहास के अनुसार)
- 1. गोहदराव जी गुहिलोत – गढ- नागौर, पत्नी- अणद कंवर चौहान, गढ- अजमेर, सोमेश्वर चौहान की बेटी (विक्रम संवत् 1133)
- 2. उमलजी गोहदरा – पत्नी- पदमावती पड़िहार, पदमसिंह पड़िहार की पुत्री (अनुमानित विक्रम संवत 1153)
- 3. सोमलजी गोहदरा – भाई- शेषोजी व सदैरणजी, पत्नी- उमरादे कंवर तंवर, भीमसिंह तंवर की बेटी (अनुमानित विक्रम संवत 1172)
- 4. बलदेव जी गोहदारा – पत्नी- कनकादे कंवर देवड़ा, कनकमल देवड़ा की बेटी (अनुमानित विक्रम संवत 1190)
- 5.धोंकलजी गोहदारा – पत्नी- कोडमदे कंवर दहिया, अभयसिंह दहिया की बेटी (अनुमानित विक्रम संवत 1210)
- 6.देवराजजी गोदारा – धुंकलधर जी के पुत्र देवराज जी गोदारा ने विक्रम संवत् 1236 को खींवजी थोरी की पुत्री सुखी से शादी करके देवराजसर गांव बसाया तथा गोदारा जाट हुए।
गोदारा नाम की फोटो




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अंतिम शब्द :- आज हमने बताया गोदारा जाति कोनसी है गोदारा जाति का इतिहास गोदारा जाति Godara Caste के कुलदेवता इन सभी सवालों के जवाब आपको इस पोस्ट में दिए गए है। धन्यवाद।
Hi .