गन्ना की खेती कैसे करें : गन्ने की खेती से कमाई और तरीका

Ganne ki kheti– नमस्कारकिसान भाइयो, गन्ने की खेती की बात करें तो गन्ना भारत में भरपूर मात्रा में होता है। इसलिए आज आपको इस पोस्ट में गन्ने की खेती के बारे में काफी जानकारी होगी। गन्ने की खेती करने या गन्ने की खेती में फायदा उठाये-

Ganne ki kheti
Ganne ki kheti

Ganne ki kheti

Ganne ki kheti– खरीफ फसल की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए। इसके बाद देशी हल या कल्टीवेटर से जोतकर खेत को समतल कर लें। गन्ने की बुवाई का समय: गन्ना अक्टूबर-नवंबर में शरद ऋतु में और फरवरी-मार्च वसंत में बोया जाता है।

ganne ki kheti
गन्ने की खेती

गन्ने की खेती कैसे करें?

GUIDENSE.COM पर सभी किसान भाइयों का स्वागत है। आज हम गन्ने की वसंत खेती के बारे में बात करते हैं। गन्ना एक प्रमुख व्यावसायिक फसल है। भारत में गन्ने की खेती वैदिक काल से की जा रही है।

गन्ने की खेतीसे देश में लगभग एक लाख लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है। प्रतिकूल परिस्थितियां भी गन्ने की फसल को ज्यादा प्रभावित नहीं करती हैं।

GANNE KI KHETI: इन्हीं विशेष कारणों से गन्ने की खेती अपने आप में एक सुरक्षित और लाभदायक खेती मानी जाती है।

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1. गन्ने की बुवाई का समय

देश में पतझड़ और वसंत गन्ने की फसल बोई जाती है। अब बसंत गन्ने की फसल बोने का समय है। वसंत गन्ने की फसल 15 फरवरी से 15 मार्च तक करनी चाहिए। यह समय सबसे अच्छा माना जाता है।

वसंत गन्ना देर से काटे गए धान के खेतों और तोरिया, मटर और आलू द्वारा खाली किए गए खेतों में बोया जा सकता है। जबकि शरदकालीन गन्ने की बुवाई 15 अक्टूबर तक कर लेनी चाहिए।

2. गन्ने की खेती के लिए मिटटी

गन्ने के लिए दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है। लेकिन भारी टोमड वाली मिट्टी होने पर भी गन्ना एक अच्छी फसल हो सकती है। गन्ने की खेती क्षारीय/अम्लीय भूमि और पानी स्थिर होने वाली भूमि पर नहीं करनी चाहिए।

खेत को तैयार करने के लिए हैरो से तीन बार मिट्टी की जुताई करके एक बार बारी-बारी से हल चलाना चाहिए। देशी हल की 5-6 जुताई करना आवश्यक है। बुवाई के समय खेत में नमी होना आवश्यक है।

पिछले वर्ष की गन्ने की रोगग्रस्त फसल को उस खेत में नहीं बोना चाहिए जहाँ गन्ना उगाया जाना है।

3. गन्ने की खेती के लिए बीज तैयार

जिस खेत से गन्ने का बीज लेना है, उस खेत में उर्वरक अच्छी तरह से लगाना चाहिए। गन्ना स्वस्थ होना चाहिए। यदि बीज के लिए गन्ने के केवल ऊपरी भाग का उपयोग किया जाता है, तो अधिक अंकुरण होता है।

गन्ने के तीन आंखों वाले टुकड़े काट देना चाहिए। इस तरह 40 हजार पीस प्रति हेक्टेयर काफी होगा। इसका वजन करीब 70-75 क्विंटल होगा। बुवाई से पहले बीज को जैविक कवकनाशी से उपचारित करें।

4. गन्ने की उन्नत खेती में बुवाई

वसंत में 75 सेमी। 90 सेमी दूर और शरद ऋतु में। क्षेत्र से 20 सेमी की दूरी पर गहरे नाले खोदे जाने चाहिए। इसके बाद खाद को नाले में डालकर मिट्टी में मिला देना चाहिए।

बुवाई के 5 दिन बाद गाम बीएचसी (लिंडेन) को 1200-1300 लीटर पानी में मिलाकर बोए गए टुकड़े पर छिड़कने से दीमक और जड़ और तने में घुसने वाले कीड़े नहीं लगते हैं।

इस दवा को 50 लीटर पानी में घोलकर नालियों पर छिड़क कर मिट्टी से बंद कर दें। अगर पाइरिला अंडे की संख्या बढ़ जाती है, तो उस समय किसी भी रसायन का प्रयोग न करें। कीट विशेषज्ञ से सलाह लें।

खड़ी फसल में दीमक का प्रकोप हो तो 5 लीटर गामा बीएचसी। 20 ई.पू. प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की सिंचाई करते समय इसका प्रयोग करना चाहिए।

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5. गन्ना बोने की मशीन

किसान गन्ना बोने की मशीन सीडर कटर प्लांटर का उपयोग कर सकते हैं।

6. गन्ना की खेती के लिए सिंचाई

वसंत गन्ने की खेती में छह सिंचाई की आवश्यकता होती है। 4 सिंचाई बारिश से पहले और दो सिंचाई बारिश के बाद करनी चाहिए। तराई क्षेत्रों में बारिश से पहले 2-3 सिंचाई पर्याप्त होती है और बरसात के मौसम में केवल 1 सिंचाई ही पर्याप्त होती है।

7. खरपतवार नियंत्रण

गन्ने की बिजाई के बाद 25-30 दिनों के अंतराल पर तीन बार निराई करके खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है। खरपतवारों को रसायनों से नष्ट नहीं किया जा सकता है। गन्ने की बिजाई के तुरंत बाद खरपतवार होने पर एक किलो एट्राजीन और सेंकर सक्रिय पदार्थ को 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

8. गन्ने की खेती में रोगों की रोकथाम

  • गन्ने में रोग मुख्य रूप से बीजों से फैलते हैं।
  • रोगों की रोकथाम के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए जा सकते हैं।
  • स्वस्थ और प्रमाणित बीज लें।
  • बीज के टुकड़े काटते समय लाल, पीले रंग और गांठों की जड़ निकाल कर सूखे टुकड़े अलग कर लें।
  • 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा को एक लीटर पानी में घोलकर उपचार के बाद बीज को बो दें।
  • गन्ने की फसल रोगग्रस्त खेत में 2-3 वर्ष तक नहीं बोनी चाहिए।

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9. गन्ने की खेती के लिए कीट नियंत्रण

दीमक और कीट छेदक की रोकथाम (शुरुआती सातवाटर) 1200/1300 लीटर पानी में क्लोरोपाइरीफॉस 4 लीटर / हेक्टेयर घोलें और सिस्टर्न में बुवाई के बाद टुकड़ों पर हजारे छिड़कें।

जुलाई के दूसरे पखवाड़े में इंडोसल्फोस 1.5 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर एक स्प्रे करें। जिससे तना छेदक, पोरीबीर, स्लग कैटरपिलर और करंट कीट आदि की रोकथाम की जा सके।

पीक बेधक और ब्लैक स्पॉट आदि की पहली पीढ़ी के नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटाफॉस 1 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव 8-10 अप्रैल के आसपास किया जाता है।

पीक बेधक की तीसरी पीढ़ी को नियंत्रित करने के लिए जून के अंतिम सप्ताह या जुलाई के पहले सप्ताह में सूखी रेत या राख में फ्लोर्डन 25 किग्रा / हेक्टेयर का छिड़काव करें और फिर खेत की सिंचाई करें।

10. गन्ने की खेती में खाद एवं उर्वरक

फसल की अधिक पकने की अवधि के कारण खाद और उर्वरक की आवश्यकता भी अधिक होती है, इसलिए खेत की अंतिम जुताई से पहले 20 टन सड़ा हुआ गोबर / कम्पोस्ट समान रूप से खेत में मिला देना चाहिए। इसके अलावा 300 किलो नाइट्रोजन (650 किलो यूरिया), 85 किलो। स्फुर, (500 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) एवं 60 किग्रा।

पोटाश (100 किलो मुरिएट पोटाश) प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए। स्फुर और पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय प्रयोग करें तथा नाइट्रोजन की मात्रा इस प्रकार प्रयोग करें। बसंत के गन्ने में नाइट्रोजन की कुल मात्रा को तीन बराबर भागों में बाँट लें और बुवाई को क्रमशः 30, 90 और 120 दिनों में प्रयोग करें।

नीमखली चूर्ण को नाइट्रोजन उर्वरक में मिलाकर प्रयोग करने से नाइट्रोजन उर्वरक की उपयोगिता बढ़ जाती है। यह दीमक से भी सुरक्षा प्रदान करता है। 25 किलो जिंक सल्फेट और 50 किलो।

फेरस सल्फेट का उपयोग बुवाई के समय आधार खाद के रूप में 3 वर्ष के अन्तराल पर जिंक एवं आयरन सूक्ष्म तत्वों की आपूर्ति के लिए किया जाता है।

11. गन्ने को गिरने से बचाने के उपाय

  • गन्ने की पंक्तियों की दिशा पूर्व और पश्चिम में रखें।
    गन्ने की बुवाई उथली न करें।
    गन्ने की पंक्ति के दोनों ओर 15 से 30 सेमी मिट्टी दो बार (जब पौधा 1.5 से 2 मीटर (120 दिनों के बाद) हो।
  • अधिक परिपक्व होने पर (150 दिनों के बाद) देना चाहिए।
    गन्ना बांधें। इसमें पत्तों की मदद से तनों को आपस में बांध लें।
  • इस काम को दो बार तक करें।
  • पहली बाँधना अगस्त में और दूसरी इसके एक महीने बाद, जब पौधा 2 से 2.5 मीटर का हो जाए।
  • बांधने का कार्य इस प्रकार करें कि हरे पत्तों का गुच्छ एक स्थान पर एकत्रित न हो।

12. गन्ने के साथ अंतरफसल

गन्ने के खेत में एक और फसल भी बोई जा सकती है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो सकती है। गन्ने की फसल की वृद्धि पहले 2-3 महीनों के लिए धीमी होती है।

गन्ने की दो पंक्तियों के बीच का स्थान लम्बे समय तक खाली रहता है। इसे ध्यान में रखते हुए यदि कम अवधि की फसलों को अंतरफसल के रूप में उगाया जाता है, तो गन्ने की फसल की एक निश्चित मात्रा से प्रति इकाई अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए निम्नलिखित फसलें अंतरफसल के रूप में उगाई जा सकती हैं।

शरद ऋतु की खेती में प्याज, मटर, धनिया, चना और गेहूं। वसंत की खेती में मूंग, उड़द, धनिया, मेथी।

13. गन्ने की कटाई

हैंड रेफ्रेक्टोमीटर 18 के बिंदु पर पहुंचते ही गन्ने की कटाई शुरू कर देनी चाहिए। उपकरण के अभाव में गन्ने की मिठास का उपयोग गन्ने के पकने का पता लगाने के लिए किया जाता है।

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अंतिम शब्द

दोस्तों आपको इस पोस्ट में हम ने गन्ने की खेती के बारे में जानकारी दी है और आपको गन्ने की खेती करते समय होने वाली पूरी परिकिरिया को समझाया है | अगर आपको पोस्ट अच्छा लगा तो कमेंट करे और अपने दोस्तों को भी शेयर करे। धन्यवाद, आपका दिन शुभ हो।

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