Bishnoi Caste – बिश्नोई जाति का इतिहास क्या है ?

दोस्तों आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बिश्नोई समाज के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए अब आगे बढ़ते हैं और बिश्नोई समाज के इतिहास को जानते हैं।

Bishnoi Caste

Bishnoi Caste

भारत में बिश्नोई समाज के कई लोग मौजूद हैं। बिश्नोई समाज भारत के कई राज्यों में पाया जाता है। बिश्नोई समुदाय के लोग पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में रहते हैं।

कहा जाता है कि विश्नोई समाज की स्थापना श्री गुरु जम्भेश्वर ने की थी। श्री गुरु जम्भेश्वर को हर कोई जंभोजी के नाम से जानता है। यदि अब हम विश्नोई समाज की उत्पत्ति की बात करें तो विश्नोई शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है।

इन दोनों शब्दों का अर्थ है नियमों का पालन करना। जब बिश्नोई समाज का जन्म हुआ तब 29 नियम बने और बिश्नोई समाज के सभी लोग उन सभी 29 नियमों का पालन करने लगे।

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बिश्नोई समाज के बारे में

विश्नोई समाज के बारे में कहा जाता है कि जब कोई बच्चा पैदा होता है तो 1 महीने के बाद 120 शब्दों का हवन करके बच्चे को बिश्नोई समाज का हिस्सा बनाया जाता है।

बिश्नोई समाज द्वारा यह नियम भी बनाया गया है कि जब तक घर में सूतक है और महिला महामारी से पीड़ित है, तब तक वह पूजा का पाठ नहीं करती है। ऐसे कई नियम बिश्नोई समाज द्वारा बनाए गए हैं और उन नियमों का पालन बिश्नोई समाज के सभी लोग करते हैं।

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बिश्नोई समाज की स्थापना

  • बिश्नोई समाज की स्थापना की बात करें तो विक्रम संवत 1542 के दौरान गुरु जंभोजी की कीर्ति चारों ओर फैल गई थी
  • सत्संग सुनने के लिए दूर-दूर से लोग उनके पास आते थे।
  • उसी वर्ष राजस्थान में भीषण अकाल पड़ा, इस विकट स्थिति में जांभोजी ने अकाल पीड़ितों की भोजन और धन से मदद की।
  • 1542 की कार्तिक बड़ी 8 को गुरु जंभोजी ने समरथल धोरे में एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया जिसमें सभी जातियों के असंख्य लोग उपस्थित थे।
  • तब गुरु जम्भेश्वर भगवान ने कलश की स्थापना कर पहल (प्रबुद्ध जल) तैयार किया और सभी लोगों को 29 नियम देकर दीक्षा दी और उन्हें बिश्नोई बना दिया।
  • बिश्नोई बनने वालों में ज्यादातर जाटों से थे और इसी वजह से उन्हें जाट बिश्नोई भी कहा जाता था,
  • उस समय कई जातियों और वर्गों के लोग बिश्नोई बन गए, मुख्यतः जाट।

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बिश्नोई जाति का इतिहास

हम यहां बिश्नोई समाज के इतिहास के बारे में हिंदी में चर्चा करेंगे, और बिश्नोई समाज के इतिहास को विस्तार से जानने का प्रयास करेंगे।

  • आज हम बिश्नोई समाज के इतिहास के बारे में बात करेंगे जैसा कि आप जानते हैं कि बिश्नोई समाज की स्थापना श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान ने की थी।
  • गुरु जंभोजी ने कहा था कि जो भी इन 29 नियमों का पालन करेगा उसे बिश्नोई कहा जाएगा और उनके अनुसार बिश्नोई समाज के लोग इन 29 नियमों का पालन करते हैं और बिश्नोई कहलाते हैं।
  • यदि वर्तमान में बिश्नोई समाज के लोगों के बारे में जाना जाए तो बिश्नोई समुदाय के लोग मुख्य रूप से राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश आदि राज्यों में रहते हैं।

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बिश्नोई समाज का खेजड़ली बलिदान

बिश्नोई समाज(Bishnoi Cast) के इतिहास की चर्चा हो तो खेजड़ली बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

गुरु जंभोजी द्वारा बताए गए 29 नियमों में से एक मुख्य नियम पेड़ों को न काटना और उनकी देखभाल करना है, उसी नियम का पालन करते हुए खेजड़ली नामक गांव में अमृता देवी के साथ मिलकर 363 लोगों ने राजा के सैनिकों को पेड़ काटने की अनुमति नहीं दी। खेजड़ली और खुद की कुर्बानी दी।

बिश्नोई जाति ओबीसी या सामान्य

“बिश्नोई” शब्द 20(बीस)+9(नौ) = बिश्नोई से बना है। कई मान्यताओं के अनुसार श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। अधिकांश बिश्नोई जाट राजपूत जाति से बिश्नोई बन गए हैं।

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बिश्नोई समाज के गोत्र

बिश्नोई  हिंदू धर्म का एक संप्रदाय है। इस पंथ के संस्थापक जंभोजी महाराज हैं। बिश्नोई वह है जो जंभोजी महाराज द्वारा निर्धारित 29 नियमों का पालन करता है। संवत 1542 के कार्तिक बडी 8 को, जंभोजी महाराज ने संभरथल धोरे में एक महान यज्ञ (हवन) का आयोजन किया और 29 नियमों की दीक्षा और दीक्षा देकर बिश्नोई धर्म की स्थापना की।

बिश्नोई संप्रदाय में दीक्षित सभी जातियों के लोग थे, उनमें से अधिकांश जाट थे। सभी धर्मों के लोगों में से 29 नियमों का पालन करने वालों को बिश्नोई कहा जाता है।

बिश्नोई संप्रदाय में दीक्षित सभी जातियों के लोगों के पीछे जो भी गोत्र था, उसे बदला नहीं गया और जैसा है वैसा ही रखा गया। गुरुजी से दीक्षा लेकर लगभग 370 जाति के लोग बिश्नोई बन गए थे।

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बिश्नोई गोत्र लिस्ट इस प्रकार हैं :-

  1. अहीर
  2. आमरा
  3. आयस
  4. आसियां
  5. आनणा
  6. आखा
  7. अखिंड
  8. ईहराम
  9. ईसराम
  10. ईसारवा
  11. ईसरवाल
  12. ईनणिया
  13. ईयार
  14. ईडंग
  15. उत्कल
  16. उमराव
  17. ओरिया
  18. कडवासरा(कुराडा)
  19. कसवझ(कांवा)
  20. करीर
  21. कणेटा
  22. कसबी
  23. कबीरा
  24. कालडा
  25. कासणिया
  26. कामटा
  27. कांसल
  28. कांगड़ा
  29. किरवाला
  30. किकरं
  31. खदाब
  32. खिचड
  33. खुड्खुडिया
  34. खेरा
  35. खोखर
  36. खोत
  37. खोजा
  38. खोड
  39. गर्ग
  40. गावाल
  41. गायणा
  42. गाट
  43. गोदारा (सोनगरा)
  44. उदाणी
  45. खिरंगिया
  46. धोलिया
  47. बब्नीड
  48. सिसोदिया
  49. देवड़ा
  50. गोरा
  51. गोयत
  52. गोयल(गोभिल,गोविल,गोहिल)
  53. गोगियां
  54. गौला
  55. गौड़
  56. जाजूदा
  57. जाला
  58. जाणी
  59. जांगड़ा
  60. झांस
  61. झांग
  62. झाझडा
  63. झाझण
  64. झाला
  65. झुरिया
  66. झोधकण(जोधकरण)
  67. झाडा
  68. झोरड
  69. टणडन
  70. टाडा
  71. टांडी(तांडी)
  72. टुसिया(टुहिया)
  73. टोकसिया
  74. ठकरवा
  75. थलवट
  76. थालोड
  77. थापण(चौहान,साहू)
  78. थोरी
  79. दडक(धडक)
  80. दरजी
  81. दासा
  82. दिलोहया(दुलोलिया)
  83. दुगसर
  84. देहडू
  85. दहिया
  86. देवड़ा(खेडेवाला)
  87. टोहरावाला
  88. लोढ़ा
  89. दोतड
  90. नाथ
  91. नाई
  92. निरबान
  93. निबिबागा
  94. नेहरा
  95. नैण
  96. परमार (पंवार ,पवार ,पुआर ,पुवार)
  97. पंवार (कुलडिया)
  98. पडियाल(पडिहार)
  99. पठान
  100. पुनिया
  101. पोटलिया
  102. पंडवालिया (पवाडिया)
  103. फलावर
  104. बरड
  105. बदिता
  106. बड़ोला
  107. बडएड
  108. ब्रदाई
  109. बनगर
  110. बटेसर
  111. बलावत
  112. बेनीवाल (बेहानीवाल, बिणियाल)
  113. बेरवाल
  114. बळडिकिया
  115. बजाज
  116. बलोंइया
  117. बछियाल
  118. बलाई
  119. बड़ोला
  120. बसोयाल
  121. बंसल
  122. बदिया
  123. बल्हाकिया
  124. बागेशु
  125. बाकेला
  126. बाघेला
  127. बनारवाल (अहीर )
  128. बिच्छू
  129. बिडासर
  130. बिलाद
  131. बिडाल
  132. बिडग
  133. बिडियाराझ
  134. बिडार
  135. बिलोनिया
  136. बिलोडिया
  137. बुडिया
  138. भवाल
  139. भट्ट
  140. भिलुमिया भींचर
  141. भोजावत
  142. भोडिसर
  143. भोछा
  144. भूरटा
  145. भूरंट
  146. भुट्टा
  147. भूल
  148. भूश्रण
  149. मंडा
  150. मतवाला
  151. महिया (मईया)
  152. मल्ला
  153. मारत
  154. मांजू
  155. मील
  156. मीठातगा
  157. मुरटा
  158. मुंडेल
  159. मुदगिल
  160. मुरिया(मावरिया)
  161. मुंढ
  162. मेहला
  163. मेवदा
  164. मोहिल
  165. मोगा
  166. रशा
  167. रूबाबल
  168. खोडा
  169. रोहज
  170. रोझा
  171. रोड
  172. लटियाल
  173. लरियाल
  174. लाम्बा
  175. लुदरिया
  176. लागी
  177. लोल
  178. लोहमरोड़
  179. लुहार
  180. सराक
  181. सरावक्
  182. सहू(साहू, सोहू)
  183. सदु
  184. सगर
  185. साईं
  186. सान्वक
  187. साहरण (सारण)
  188. सांखल (सागर)
  189. सारस्वत
  190. साबण (शाबण)
  191. सियाक(सियाग ,सियाख ,सिहाग)
  192. सिसोदिया
  193. सिंघल (सिंगल,सिंगला सिंहला)
  194. सेंवर(सिंवर)
  195. सियोल (सिंवल)
  196. सिवरखिया
  197. सिरडक
  198. सेरडिया
  199. सेवदा
  200. सेहर (शेर)
  201. सेधो( सेथो)
  202. सेंगडा
  203. सोढा
  204. सोलंकी
  205. सोनक (सुनार)
  206. शांक
  207. शाह
  208. हरीजा
  209. हाडा (उदावत,बलावत,भोजावत)
  210. हरिया
  211. हरिवासिया
  212. हुमडा
  213. हुड्डा

साहू जाती की जनसख्या और इतिहास

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2 Comments

  1. Iraj Bishnoi says:

    Thank you for great information

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