Bairwa Caste क्या है, यहाँ आप बैरवा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे। इस लेख में आपको बैरवा जाति के बारे में हिंदी में जानकारी मिलेंगी।
बैरवा जाति क्या है? इसकी कैटेगरी, धर्म, जनजाति की जनसँख्या और रोचक इतिहास के बारे में जानकारी पढ़ने को मिलेगी आपको इस लेख में।
जाति का नाम | बैरवा जाति |
बैरवा जाति की कैटेगरी | अनुसूचित जाति |
बैरवा जाति का धर्म | हिंदू धर्म |
अगर बात करें बैरवा जाति की तो बैरवा जाति कौनसी कैटेगरी में आती है? बैरवा जाति के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए पोस्ट को पूरा पढ़ें। तो आओ शुरू करतें है बैरवा जाति के बारे में :-
बैरवा जाति
बैरवा जाति/समाज मूल रूप से राजस्थान का मूल निवासी माना जाता है। हिंदू धर्म में बैरवा समुदाय को अनुसूचित जाति की श्रेणी में माना जाता है और कहीं-कहीं वे पिछड़ी जाति के अंतर्गत आते हैं।
बैरवा समाज का मुख्य व्यवसाय कृषि, पशुपालन और निर्माण संबंधी कार्य रहा है। किसान और पशु पति होने के कारण इन्हें मेहनती भी माना जाता है। फिलहाल देश भर के हर प्रांत और कस्बे में बैरवा समुदाय के लोग मिल जाएंगे।
लेकिन कहा जाता है कि बैरवा समुदाय के लोग राजस्थान से खाना और खाना कमाने के लिए दूसरे राज्यों में गए थे और अब वहीं रहने लगे हैं। इस समय देश में बैरवा समुदाय की आबादी करीब 11 करोड़ बताई जाती है।
अकेले राजस्थान में ही 40 से 45 लाख बैरवा समुदाय हैं। राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों में से करीब 70 सीटों पर बैरवा समुदाय के लोगों के वोट जीत या हार का फैसला करते हैं।
अब तक राजस्थान का एक ही मंत्रिस्तरीय बोर्ड रहा होगा जिसमें दो-तीन मंत्री बैरवा समाज से लिए गए हों। स्वर्गीय बनवारी लाल बैरवा राजस्थान के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं।
बैरवा जाति की कैटेगरी
राजस्थान में बैरवा समाज के लोग अनुसूचित जाति वर्ग में माने जाते हैं। राजस्थान की अनुसूचित जाति के क्रमांक पांच में बैरवा समाज का नाम है। जिससे स्पष्ट होता है कि बैरवा समाज अनुसूचित जाति वर्ग की प्रमुख जातियों में से एक है।
कुछ स्थानों पर जयपुर, दौसा, सवाई माधोपुर में बैरवा समुदाय के लोगों को बोलचाल की भाषा में बलाई भी कहा जाता है। लेकिन बलाई समाज अलग हैं। उनका अपना अलग अस्तित्व है।
दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों में रहने वाले बैरवा समुदाय के लोगों को अभी भी अनुसूचित जाति का लाभ नहीं मिल पा रहा है क्योंकि वे आरक्षित वर्ग में नहीं हैं।
बैरवा समाज की कुलदेवी
महर्षि बलीनाथ को मानने वाले ही बैरवा हैं। लेकिन फिर भी बैरवा समाज के लोगों में भैरव, पितृ, भोमिया, शहीद, सात बहनें, दुर्गा माता, वैष्णो माता, काली माता, बालाजी, शिवाजी, गंगा मैय्या, तेजाजी महाराज, बाबा रामदेव की पूजा अधिक होती है।
बैरवा समाज का इतिहास
बैरवा समुदाय के लोग आज भी कृषि, पशुपालन, भवन निर्माण, श्रम, कृषि श्रमिक, ईंट भट्ठों, व्यापार, सरकारी और गैर सरकारी विभागों में नौकरी करते हैं। राजस्थान के जयपुर, दौसा, टोंक, सवाई माधोपुर, कोटा, भरतपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, बारां, झालावाड़, करौली।
धौलपुर समेत कई जिलों में बड़ी संख्या में बैरवा समुदाय के लोग निवास करते हैं। बैरवा समाज के लोग मेहनतकश माने जाते हैं। देश में कहीं भी रहें, मेहनत करें और मेहनत कर अपना और अपने परिवार का पेट पालें।
बैरवा समुदाय के लोग कहीं भी अछूत कृत्य नहीं करते हैं। इस जाति के लोगों को मरने दिया जाता है लेकिन गलत काम या नीच कर्म करना स्वीकार्य नहीं है। कहा जाता है कि जहां-जहां बैरवा जाति के स्वाभिमान की आग लगने लगी।
इस जाति के लोगों ने अपना घर और संपत्ति छोड़कर दूसरे शहर जाना पसंद किया, लेकिन गुलामी को स्वीकार नहीं किया। इसलिए बैरवा समाज को न केवल अनुसूचित जाति वर्ग में बल्कि सामान्य वर्ग के लोगों में भी सम्मानजनक और स्वाभिमानी माना जाता है।
अन्य एससी वर्ग की तरह बैरवा समाज के लोग भी खुद को इस देश के मूल निवासी बताते हैं और शासक वर्ग के हैं। इस समाज के लोग भी खुद को आर्यों से पहले के मूल निवासी और शासक वर्ग के रूप में वर्णित करते हैं।
क्योंकि आर्यों से पहले भारत पर गैर-आर्यों का शासन था। इसलिए, न केवल बैरवा बल्कि एससी वर्ग की अधिकांश जातियों का दावा है कि वे इस देश के शासक रहे हैं। यह दावा इतिहासकारों, एससी वर्ग की सभी जातियों के लोगों ने किया है।
इसलिए एससी वर्ग के लोग भी क्षत्रिय वर्ग की तरह अपने रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। हालांकि एससी वर्ग का यह दावा कितना सच है यह कोई नहीं जानता। लेकिन ये दावे हर जाति के लोग करते हैं। लेकिन जहां तक बैरवा समाज का सवाल है।
इस समाज के लोगों का कहना है कि जब आर्यों ने गैर-आर्यों पर हमला किया, तब भारत पर गैर-आर्यों का शासन था, इसलिए सभी गैर-आर्यों को पीटा गया और गुलामी में स्वीकार कर लिया गया। उन्हें जबरन दलित बनाया गया।
धीरे-धीरे उनसे बेगारी ली जाने लगी और वे समाज के उच्च वर्ग से निम्न वर्ग कहलाने लगे। इसलिए आरक्षित वर्ग के लोग आज भी दावा करते हैं कि इस देश के असली शासक दलित आदिवासी हैं।
हालाँकि, यह अलग बहस का विषय हो सकता है। लेकिन फिर भी बैरवा समाज का इतिहास भी गौरवशाली रहा है और अब इस समाज के लोग वर्तमान को संवारने में लगे हैं। अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
बैरवा समाज के गोत्र
- अणिजवाल – अनिजवाल, रणिजवाल, उनिजवाल, आनन्दकर, उज्जवल
- अन्धेरिया – ओध, अन्धावत
- आकोदिया – अकेश, अरविन्द
- अरल्या – अलोरिया, अलोरी, अन्जान, अजय, अलोरया, अलिन्द
- उचिण्या – उचिनियाँ, अचिनिया, उज्जेनवाल
- उमैणा – उमिणिया, उदभिणा, उदभिणिया
- उदाणी – उदित, उद्वाल, उदेईवाल, उदिणिया
- कारोल्या – करोल,केरोल, कलोलकर, केलकर, करोला
- कांकरवाल – काँकर,कीरवाल,काँकोरिया
- कामीवाल – कामीवाल,कामी
- कालरवाल – कालरा,कारोलिया
- कुवाल – कुलवाल,किवाड,कव्वाल
- कुण्डारा – खुण्डारा,कुन्दारे,कुन्दन,कुन्द्रा,कदम,
- कोलवाल – कोल, कौल, कोदवाल
- खटनावाडिया – कठनवडिया,खटाना,वाडिया
- खप्परवाडिया – कफनवाडिया, कक्कनवाडिया, वाडिया
- खापरया – खापरयिा, खापर
- खोडवाल – खोवाल
- गांगिया – गंगवाल, गांगी, गंगवंशी,गंगोत्री , गांगे,
- गजराण्या – गजराना, गजरानिया
- गोगडया – गोगडे, गोगाडिया, गोवाडिया, गहलोद
- गोठवाल – गोथवाल, गोठीवाल, गोडवाल, गोड,
- गोमलाडू – गोमा, गोभे, गुलाटी, गौरव, गौतम, गोमावत, गुजराल
- घुणावत – घुणावत्या, डोणावत, द्रौड, द्रौणावत
- चांचोडया – चांचोडिया
- चन्दवाडा – चन्द्रनावत, चन्दन चन्द्रावत,चण्डाल
- चैडवाल – चेरवाल, चडवाल
- चरावण्ड्या – चन्द्रवाल,चरावण्डिया, चावण्ड, चापड, , चहवाण, चैहान, चरावंडा
- जाटवा – यादव, जटवाडिया, जाटव
- जारवाल – जरवाल, जेरवाल, जावरवाल
- जीणवाल – जीनवाल, जीवनवाल, जीन्वाल, जेनल
- जेडिया – जेरिया, जडिया
- जोणवाल – जोनवाल ,जोरवाल जानेवाल,जूनवाल, जोनरवाल, जौहर
- जाजोरया – जाजोरिया
- झांटल – बडगोती, बडगोल्या, बदोतरा, बडोतरा, बडगोत्रा, बडोदिया जटिल
- टटवाड्या – टटवाल, टटवाडिया, टाटीवाल, टाटावत, टाटा वाडिया
- टाटू
- टोंटा – टावर, टाँक
- टैंटवा – टेंटवाल, टडेल,टेंडुला
- ठाकुरिया – ठाकरसी, ठुकरिया, ठाकरिया
- डबरोल्या – डबरोलिया, डाबी, डबिया, डाबर, डबोत
- डोरेलिया, – डोयाॅ,डोरिया, डोरोल्या, डोरेला, डरोलिया
- ढण्डेरवाल – दण्देरवाल,उन्डेरवाल, धन्डेरवाल, थंदेरवाल, दादर,
- तलावल्या – तलवल्या, तलवाडियां, तिलकर, लिवालिया, तलवार
- तोण्गरया – तोपागरिया, तंवर, तेेन
- दोंढिया
- दबकवाल – दबक, दबोह
- देवतवाल – देव, देवतराल देतवाल
- ध्यावणा – धावनिया, धावन , देवनियाध, धलय, धवन, धमेणिया
- देवनिया – दीवान,दिवान
- धोरण – धौरण, धोरावत
- नंगवाडा – नागरवाल,नागर, निहौर, नागा, नागवंशी, नागेशरव,नागावत,
- पचवाडिया – पाँचाल, पचेेर, पचवानियाँ
- पराल्या – परालिया, पालीवाल, पाल पीलाडिया
- पिडुल्या – पिन्डुलिया
- पीलाडिया
- पातलवारया – पातलवाल
- परसोया – फरसोया, पारस
- पेडला – पेडवा, पेरवा
- बन्दावड्या – बन्दावदिया, बैनाडा, बैन्दा बनावडिया, बनेरा, बिडला
- बमणावत0 – बमनावत, बह्रमावत, ब्ररूपाल
- बडोदया – बडोदिया
- बारवाल – बहरवाल, बारूपाल
- बन्दरवाल
- बासणवाल – बासनवाल, बंशीवाल, बसन, भसन, बंसल
- बासोटया – बासोटिया
- बीलवाल – बीलवाल
- बुआ – ब्बुबदिया
- बुहाडिया
- बैथाडा – बेथेडा, बेतेडा, बैथ, बथानिया, बकेडा
- बसुआ
- बागौरया – बागौरिया, भागोरिया, बागडिया, बागडी, बागवंशी
- बौररा – बोर्या ,बोहरा वोहरा
- बिनोल्या – बिनोलिया
- बखण्ड – भखण्ड, अखण्ड
- भदाला – भदावर, भदाले, भदावरिया
- भरथूण्या – भ्रथूणिया, भरयूनिया, भारती
- भिटोल्य – भीटनवाल, भिटोलिया, ब्ठिालिया
- भियाणा – भियाानिया, भियाणिया, बिहाणिया, भ्यााणिया
- भैण्डवाल – बैण्डवाल, वेदवाल, वेद, बैद, बेनीवाल
- मरमट – मरमढ, मरमिट
- मीमरोट – मीमरोठ, नीमरोट, मधुकर, मीरवाल, नीमरोह
- मुराडया – मुराडिया, मुरारिया,
- मेहरा – मेहर , महर , मेहरा ,मेहरवाल,
- माली – मानवीय, मालवीभा, मालवीया,
- मीचडवाल
- मैनावत
- रमण्डवाल – रमन्डवाल, रमनवाल, रमन, रमेटवाल, रमैया,
- राजलवाल – राजनवाल , राजावत
- राणीवाल – रानीवाल, रानावत, रेनीवाल, राना , रेनवाल
- रैसवाल – रेसवाल, रईसवाल, रायसवाल, रेसवाला
- रोघिया – रोदिया, रोद, रोड, रल्लावाद, रोलिया
- राजौरया – राजोसिया
- रेवाड्या – रेवाडिया, रावत, रेवडिया
- लकवाल – लांकावाल, लंका, लक्की,लक्कीवाल
- लोटन
- लोदवाल – लोदीवाल,लोदिया,लोदनवाल,लोघा,लोदी
- लोडोत्या – लोडेवा, लालावत,लोखण्डी
- लोरवाड्या – लोरवाडिया, लोडवालिया
- सरखण्डया – सरकन्डया, सरकाण्डिया, सरखन्डिया,सरेख
- सुरेल्या – सुरिला, सुरेलिया, सुरिया
- सेकरवाल – सरसूणिया, सरसूनिया
- सरसूण्या – सरसूणिया, सारस्वत
- सरसूंघा – सरसूतिया, सरस्वत
- सरोया – सुरोया , सुरोहिया, सिरोहिया
- सीवत्या – सींवतिया, सावत ,सीसोदया
- सेररा – शेर,शेरवात,शेरा,शहर
- सेवाल्या – सेवालिया,सेवाल,सेवलिया, सहेलिया, शिवाल्या
- सुलाण्या – सुलाणिया,सुलानिया,सल्वानिया
- सरवडिया
- वरणमाल
- हणोत्या
- हुकीणया – हुकीडिया, हुकीणा
- नावलिया
अन्य जातियों के बारे में-
हम उम्मीद करते है की आपको बैरवा जाति के बारे में सारी जानकारी हिंदी में मिल गयी होगी, हमने बैरवा जाति के बारे में पूरी जानकारी दी है और बैरवा जाति का इतिहास और बैरवा जाति की जनसँख्या के बारे में भी आपको जानकारी दी है।
Bairwa Caste की जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी, अगर आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो हमे कमेंट में बता सकते है। धन्यवाद – आपका दिन शुभ हो।